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________________ ઉપદેશરનમાલાકુલક ૧૩ १० रिउणो न वीससिज्जइ, कया वि वंचिज्जइ न वीसत्थो । न कयग्घेहिं हविज्जइ, एसो नायस्स नीस्संदो ॥१०॥ ११ रंजिज्जइ सुगुणेसु, कज्जइ रागो न नेहवज्जेसु । किरइ पत्तपरिक्खा, दक्खाण इमो अ कसवट्टो ॥११॥ नाकज्जमायरिज्जइ, अप्पा वाहिज्ज न वयणिज्जे । न य साहसं चइज्जइ, उब्भिज्जइ तेण जगहत्थो ॥१२॥ वसणे वि न मुज्झिज्जइ, मुच्चइ णायो न नाम मरणे वि । विहवक्खए वि दिज्जइ, वयमसिधारं सुधीराणं ॥१३॥ अइनेहो न वहिज्जइ, रुसिज्जइ न य पिये वि पइदियहं । वद्धारिज्जइ न कली, जलंजली दिज्जए दुहाणं ॥१४॥ न कुसंगेण वसिज्जइ, बालस्स वि घिप्पए हिअं वयणं । अनायाओ निवट्टिज्जइ, न होइ वयणिज्जया एवं ॥१५॥ १६ विहवे वि न मज्जिज्जइ, न विसीइज्जइ असंपयाए वि । वट्टिज्जइ समभावे, न होइ रणणइ संतावो ॥१६॥ __ वन्निज्जइ भिच्चगुणो, न परुक्खं न य सुअस्स पच्चक्खं । महिलाउ नोभया वि हु, न नस्सए जेण माहप्पं ॥१७॥ जंपिज्जइ पिअवयणं, किज्जइ विणओ य दिज्जए दाणं । परगुणगहणं किज्जइ, अमूलमंतं वसीकरणं ॥१८॥ पत्थावे जंपिज्जइ, सम्माणिज्जइ खलो वि बहुमज्झे। नज्जइ सपरविसेसो, सयलत्था तस्स सिझंति ॥१९॥ मंततंताण न पासे गम्मइ, न य परगिहे अबीएहिं। पडिवन्नं पालिज्जइ, सुकुलीणत्तं हवइ एवं ॥२०॥
SR No.034014
Book TitleSukta Ratna Manjusha Part 11 Vairagyashatakadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyasundarvijay
PublisherShramanopasak Parivar
Publication Year2017
Total Pages303
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size441 KB
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