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________________ 80 शिक्षाप्रद कहानिया परिचित ने कहा- 'आप दोनों क्यों आपस में झगड़ रहें हैं? क्यों न आप लड़के को ही बुलाकर पूछ लेते हो कि उसे क्या बनना है?' यह सुनते ही दोनों बोले- 'लड़का तो अभी पैदा ही नहीं हुआ अब आप ही देखिए लड़के का अभी दूर-दूर तक नामोनिशान तक नहीं है और ये महाशय लगे हैं उसे वकील और डॉक्टर बनाने। अब ये दु:खों को पकड़ना नहीं है तो और क्या है? आप ही सोचिए। एक दृष्टान्त और देखिए। एक रेलगाड़ी में दो यात्री यात्रा कर रहे थे। दोनों आमने-सामने बैठे थे। जैसे ही रेलगाड़ी चली तो उनमें से एक यात्री ने खिड़की बन्द कर दी। थोड़ी देर बाद दूसरा उठा उसने खिड़की खोल दी। पहले वाला फिर उठा और उसने खिड़की फिर बन्द कर दी। बस इसी बात पर दोनों झगड़ पड़े। पहला कहता बन्द करूँगा तो दूसरा कहता खोलूँगा। दोनों का झगड़ा सुनकर वहाँ एक रेलवे का अधिकारी आ गया। उसने दोनों की बात सुनी और बोला- देवताओं! क्यों लड़ रहे हो खिड़की में शीशा तो लगा ही नहीं है। यह सुनते ही दोनों झेंप गए और लगे एक-दूसरे की ओर देखने। __ अब आप ही बताइए ये नासमझी और गलत सोच की ही पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है? अतः हम सबको यह भलीभाँति समझना चाहिए कि ये सब दुःख हमारी गलत सोच और नासमझी के कारण ही हमारे अन्दर विराजमान हैं। इसलिए हो सके तो अपनी सोच बदलिए उसके बदलते ही ये सारे दु:ख नौ-दो-ग्यारह हो जाएंगे। कहा भी जाता है कि नजर को बदलिए नजारे बदल जाएंगे, सोच को बदलिए सितारे बदल जाएंगे। किश्तियां बदलने से कोई फायदा नहीं, दिशा बदलिए किनारे बदल जाएंगे।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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