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________________ 42 शिक्षाप्रद कहानियां २१. करनी का फल बहुत समय पहले की बात है। उत्तर भारत की अयोध्या नगरी में एक बड़े ही ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ट राजा थे। उन्होंने अपने राज्य में एक बार मुनादी फिरवायी कि उनके राज्य में सभी ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और सत्यनिष्ठ हों, कोई किसी से धोखा न करे, कोई नकली व मिलावटी चीजें न बेचे। इसीलिए राजा राज दरबार में भी छाँट-छाँट कर ऐसे ही लोगों को नौकरी देते थे। इस तरह सैनिक से लेकर बड़े अफसर तक सभी ईमानदार, सत्यनिष्ठ एवं कर्तव्यपरायण थे। लेकिन, न जाने कैसे वहाँ एक बेईमान पहरेदार नियुक्त हो गया। संयोगवश उसकी ड्यूटी भी राजा के राजदरबार के मुख्य दरवाजे पर ही लग गई। राजा से मिलने के लिए बहुत लोग आते। वह उन सबसे कोई न कोई बहाना बना देता और राजा से नहीं मिलने देता। हाँ जो लोग उसे कुछ दान-दक्षिणा (रिश्वत) दे देते वह उन्हें तुरन्त अन्दर जाने की अनुमति दे देता। लेकिन राजा को इसकी जरा-भी खबर नहीं थी। और पहरेदार का धन्धा दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति की तरह खूब फल-फूल रहा था। संयोगवशात् एक दिन एक बहुत बड़ा गायक वहाँ आया। वह राजा को अपना गाना सुनाना चाहता था। लेकिन, पहरेदार ने उसे अन्दर जाने से मना कर दिया। क्योंकि उसे जो चाहिए था वो तो आपको मालुम ही है। गायक बार-बार उससे निवेदन करने लगा- देखिए! मैं बहुत दूर से यात्रा करके आया हूँ। मुझे राजा से बहुत जरूरी काम है। कृपया आप मुझे राजा से मिलने दो। यह सुनकर पहरेदार बोला- अच्छा, पहले तुम यह बताओं तुम्हें राजा से क्या काम है? गायक- मैं उन्हें अपना गाना सुनाना चाहता हूँ। पहरेदार-गाना सुनाने से तुम्हें क्या फायदा होगा?
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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