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________________ शिक्षाप्रद कहानियां समय तभी आया समझो जब व्यक्ति अपना कार्य स्वयं रुचि और निष्ठापूर्वक आरम्भ करे। अब तक उनके बच्चों के पंख भी उड़ने में सक्षम हो गए। 28 इस कहानी से हमें दो शिक्षाएं मिलती हैं कि एक तो हमें बुद्धिपूर्वक काम करना चाहिए और दूसरी यह कि स्वावलम्बी बनना चाहिए। अर्थात् अपना कार्य स्वयं करना चाहिए। १५. सफलता की चाबी मेहनत दक्षिण भारत के किसी प्रान्त के एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके एक लड़का था। जिसका नाम था - रामदेव। जब वह अल्पायु का ही था तो उसकी माँ का स्वर्गवास हो गया। संयोगवश कुछ वर्षों के उपरान्त उसके पिता को भी किसी भयंकर बीमारी ने घेर लिया। जब उसके पिता को यह आभास हो गया कि अब इस बीमारी का कोई इलाज सम्भव ही नहीं है और मेरा मरना निश्चित है तो उसने अपने बेटे को अपने पास बुलाकर कहा- देख बेटा ! रामदेव मैं तो अब तुझे अकेला छोड़कर इस संसार से जा रहा हूँ। तुझे देने के लिए मेरे पास न तो धन-दौलत है और न ही कोई जमीन-जायदाद । मैं तो बस तुझे एक अमूल्य और जीवनोपयोगी बात बता सकता हूँ। यह सुनकर रामदेव फूट-फूट कर रोने लगा और पिता की बात भी सुनता रहा । किसान ने कहा- बेटा! आज से चींटी तेरी गुरु है। जैसा वह कहे, वैसा ही करना । इतना कहते ही किसान के प्राण-पखेरू उड़ गए और वह इस दुनिया से सदा के लिए विदा हो गया। इसके बाद पिता के शरीर की सभी अन्तिम क्रियाएं सम्पन्न कर रामदेव सीधा चींटी के पास चला गया और बोला- चींटी - चींटी ! आज से तू मेरी गुरु है। बता, मैं क्या करूँ?
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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