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________________ 210 शिक्षाप्रद कहानिया द्रौपदी ने उपस्थित सभी देवताओं से कुशलक्षेम पूछा और फिर यम से पूछा कि आज कितने घड़े भर कर लाये हो? यह सुनकर यम बोला- 'देवी सात घड़ों में से छः तो असुरों के रक्त से भरे हैं, लेकिन एक घड़ा खाली है।' _ 'वह क्यों नहीं भरा? पूछे जाने पर यम ने उत्तर दिया, अभी कौरवों पाडवों का युद्ध चल रहा है। उसमें भीम के रक्त से यह घड़ा भरा जाएगा। द्रौपदी ने पुनः प्रश्न किया? 'इसे भीम के रक्त से क्यों भरना है? यम बोला- 'क्योंकि उसे अपनी शक्ति का बड़ा अहंकार है।' 'तब तो इस कार्य में देर नहीं लगनी चाहिए, द्रौपदी ने आदेश दिया, 'युद्ध के लिए न रुककर इसे अभी भरा जाए।' यह सुनकर यम बोला- 'भीम अभी कहीं दिखाई नहीं देता, शायद वह कहीं छिपा हुआ है।' इतने में नारद जी खड़े हुए और बोले- 'भीम सामने के उस वटवृक्ष पर बैठा है।' यह सुनते ही भीम की सिट्टी-पिट्टी गुम वह मारे भय के कारण काँपने लगा उसका शरीर पसीने से तर हो गया। उसने सोचा, इस विपदा से द्रौपदी ही उसे बचा सकती है, उसी के शरण में जाना चाहिए। वह वृक्ष से कूद पड़ा और उसने द्रौपदी के चरण पकड़ लिए। इतने में उसे श्रीकृष्ण के शब्द सुनाई पड़े, 'अरे भीम, इतने पराक्रमी होकर भी तुम अपनी पत्नी के पैर पकड़े हुए हो?' इस पर भीम ने उत्तर दिया, 'हे वासुदेव! द्रौपदी सामान्य स्त्री नहीं, प्रत्युत साक्षात् महामाया है।' यह सुनकर श्रीकृष्ण हँस पड़े और तब भीम के सामने का सारा दृश्य ओझल हो गया न तो वहाँ सिंहासन था न द्रौपदी और न देवता-मुनि सामने केवल श्रीकृष्ण मुस्करा रहे थे। इसलिए कहा भी जाता है कि ___ 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवाः।' ९९. मूल स्वभाव को समझना जरूरी एक बार भगवान शिव और माता पार्वती किसी विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आकाश मार्ग से विमान में बैठे जा रहे थे। तभी माता पार्वती की दृष्टि नीचे पड़ी तो उन्होंने देखा कि एक सुअर कीचड़ में फंसा हुआ है और बार-बार निकलने का प्रयास कर रहा है। माता
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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