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________________ 190 शिक्षाप्रद कहानिया भी न टूटे' वाली उक्ति चरितार्थ हो जाए।' किसान बोला- आओ, आओ मेरे सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी मैं तुम्हारे काम के विषय में ही सोच रहा था। अब तुम एक काम करो तुम अरब के देशों में जाओ और वहाँ बसेरे के मोती ढूँढों वहाँ पर ये मोती बहुतायत में पाये जाते हैं। तुम वहाँ से दस बोरी मोती लाओ। 'जिन' बोला- 'जैसा आपका आदेश।' और चल दिया अरब देश की ओर। ___अब किसान ने सोचा- फटाफट कोई ऐसा उपाय किया जाए, जिससे कि भगवान् पुनः प्रकट हो जाएँ। क्योंकि वे ही कोई उपाय बता सकते हैं। अतः वह लग गया भगवत भक्ति में। और भगवान् को तुरंत प्रकट होने की प्रार्थना करने लगा। और हुआ भी ऐसा ही। भगवान् प्रकट हो गये और बोले- 'बताओ, क्या बात है? इतनी जल्दी कैसे याद किया।' किसान बोला- भगवन्! आपका कार्यकर्ता तो बड़ा ही काम का है लेकिन, समस्या ये है कि वह महीनों के काम को पल भर में ही निपटा देता है और कहता है कि अगला काम बताओ वरना, मैं तुम्हें खा जाऊँगा। मेरे पास जितने भी काम थे वे सब उसने निपटा दिये हैं। अभी मैंने उसे एक लंबा काम दिया है। लेकिन, मुझे लगता है वह आने ही वाला है। अतः या तो आप अपना कर्मचारी वापस ले लीजिए। वरना, कोई युक्ति ऐसी बताइए, जिससे मेरी समस्या का समाधान हो सके। यह सुनकर भगवान् बोले देख भाई किसान, दी हुई चीज तो मैं कभी वापस नहीं लेता। हाँ, इस समस्या का उपाय मैं तुम्हें बता सकता हूँ। और भगवान् ने उसे एक युक्ति समझा दी और अंतर्धान हो गये। किसान भगवान् के द्वारा बताई गयी युक्ति को सोचकर मन ही मन प्रसन्न होते हुए बोला- 'आ जा बेटा अब तू। अब, मैं करता हूँ तेरा इलाज अब खाइयो तु मुझे।' __इतने में ही 'जिन' महाराज 10 बोरी मोतियों के साथ प्रकट हो गया और बोला- ये लो, सम्भालों अपनी 10 बोरियाँ और मुझे अगला काम बताओ। वरना, मैं तुम्हे खा जाऊँगा।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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