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________________ 140 शिक्षाप्रद कहानिया उसी समय वहाँ पर एक व्यक्ति आया। उसने मशीन को बड़े ही मनोयोग और ध्यान से देखा और बोला- 'सेठजी, मैं आपकी मशीन को ठीक कर सकता हूँ। यह इसी समय चालू हो जाएगी, लेकिन आपको इसके लिए दस हजार रूपये देने होंगे।' सेठजी मन ही मन सोचने लगे, तथा विचार करने लगे कि अगर मशीन नहीं चली तो आने वाले दिनों में भारी नुकसान होगा। यह सोचकर सेठजी ने कहा, 'ठीक है। मैं तुम्हें पूरे दस हजार रूपये दूंगा। तुम जल्दी से मशीन को ठीक कर दो।' - इसके बाद उस व्यक्ति ने हथौड़ा लिया और एक विशेष स्थान पर जोर से मारा। हथौड़े का लगना था कि मशीन फटाफट चलने लगी। सेठजी ने यह देखा तो बोले, ' अरे भाई, इसमें तो कुछ भी काम नहीं था। तुम दस हजार रूपये किस बात के माँगते हो? तब उस व्यक्ति ने कहा, 'सेठजी, हथौड़े की चोट तो कोई भी मार सकता था, लेकिन यह हर कोई नहीं जानता कि कहाँ मारनी चाहिए? यह सुनकर सेठजी निरुत्तर हो गए और तुरन्त उस व्यक्ति को दस हजार रूपये दे दिए। ६०. हलका लेकिन बहुत भारी एक साधु पहाड़ी क्षेत्र में तीर्थयात्रा के लिए निकले। उनके पास अधिक कुछ नहीं बस एक थैले में दो वक्त की रोटी और कुछ नित्य उपयोगी आवश्यक वस्तुएं थीं। चलते-चलते एक दिन उन्हें ऐसा आभास हुआ कि वे मार्ग भटक गए। तथा इसके साथ ही पहाड़ के दुर्गम मार्ग पर आगे बढ़ना उन्हें बड़ा मुश्किल लग रहा था। उसी समय मार्ग में उन्होंने एक वटवृक्ष देखा और आराम करने के लिए वृक्ष के नीचे बैठ गये। थोड़ी देर बाद ही उन्होंने अपने थैले को
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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