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________________ १. सहायता ही धर्म है एक बार कुछ विदेशी यात्री भारत भ्रमण के लिए आए। उन्होंने भारत के अनेक धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण किया। भ्रमण करते-करते एक दिन वे एक महात्मा के पास पहुँचे। महात्मा ध्यान मग्न थे। उनके सामने बहुत से साधक बैठे हुए थे । वे यात्री भी वहीं बैठ गए। कुछ समय बाद महात्मा ने अपनी आँखें खोली और सामने बैठे लोगों को देखा। इसके बाद कुछ साधकों ने अपनी-अपनी जिज्ञासाएं महात्मा के समक्ष रखी। महात्मा ने उन सभी जिज्ञासाओं का समाधान बड़ी ही शान्त मुद्रा में उनको बताया। यह देखकर उन विदेशी यात्रियों के मन में भी जिज्ञासा उत्पन्न हुई और उन्होंने भी अपनी जिज्ञासा प्रकट की। उन्होंने कहा महात्मा जी! हम पिछले कई दिनों से भारत भ्रमण कर रहे हैं, जहाँ भी जाते हैं वहाँ पर लोगों के मुख से यही सुनते हैं कि धर्म करना चाहिए, धर्म ही सब कुछ है इसके अतिरिक्त कुछ नहीं, लेकिन हमारे यहाँ तो ये धर्म नाम की कोई चीज होती ही नहीं तो बताइए फिर भला हम इसे कैसे करें? यह सुनकर महात्मा मन्द मन्द मुस्कुराए, फिर बोले- ऐसा नहीं हो सकता, ऐसी तो इस सृष्टि में कोई जगह ही नहीं है, जहाँ धर्म नहीं हो। शायद तुम्हें कोई भ्रम है। " इसके बाद महात्मा बोले- अच्छा आप मुझे एक बात बताइए, अगर आप कहीं जा रहे हों, और आपके सामने कोई दुर्घटना हो जाए किसी व्यक्ति को चोट लग जाए, उसका रक्त बहने लगे तो आप क्या करेंगे? महात्मा की बात सुनकर यात्री बोले- सर्वप्रथम हम उसका उपचार करेंगे, उसको चिकित्सालय पहुँचाएंगे, उसके घरवालों को सूचना
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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