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________________ 94 शिक्षाप्रद कहानिया अलग-अलग अर्थ कर रहा है। और वे बोले, 'यह कैसे सम्भव है कि एक ही शब्द के इतने अर्थ हों।' यह सुनकर रहीम कवि बोले- 'जहाँपनाह! एक ही शब्द के अनेक अर्थ होना यह कवि का कौशल है और इसे 'श्लेष' कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति किसी शब्द का अर्थ अपनी-अपनी परिस्थिति और चित्तवृत्ति के अनुसार लगाता है। मैं कवि हूँ और किसी भी काव्य का प्रभाव कवि के रोम-रोम पर होता है, इसलिए मैंने इसका अर्थ 'रोम-रोम' लगाया। तानसेन गायक हैं, उन्हें बार-बार राग अलापना पड़ता है, इसलिए उन्होंने 'बार-बार' अर्थ लगाया। फैजी शायर है और उन्हें करुणा भरी शायरी सुन आँसू बहाने का अभ्यास है, अतः उन्होंने इसका अर्थ रोना लगाया। बीरबल ब्राह्मण हैं। उनको घर-घर घूमना पड़ता है, इसलिए उनके द्वारा 'द्वार-द्वार' अर्थ लगाना स्वाभाविक है। बाकी बचे ज्योतिषी महोदय, तो उनका तो काम ही है- दिन-तिथि-ग्रह और नक्षत्रों आदि का विचार करना इसलिए उन्होंने इसका अर्थ 'दिन' लगाया। इसीलिए कहा भी जाता है कि 'जाकी रही भावना जैसी।' ४३. यथार्थ भी व्यवहार भी दक्षिण भारत के किसी गाँव में एक चरवाहा (गायों को चराने वाला) रहता था। वह गाँव के सभी लोगों की गायें चराता था। गाँव में दो दर्शन शिरोमणि (दार्शनिक) भी रहते थे। उनमें से एक थे वेदान्तदर्शन के मर्मज्ञ तो दूसरे थे बौद्धदर्शन के मर्मज्ञ। चरवाहा इन दोनों की भी गायें चराया करता था। एक दिन महीना पूरा होने पर चरवाहा वेदान्तमर्मज्ञ विद्वान् के पास गया और बोला- 'महात्मन्! महीना पूरा हो गया मैंने आपकी गायें चराई हैं। अतः आप मुझे मेरी मेहनत की मजदूरी दीजिए जिससे मेरा तथा मेरे परिवार का जीवन निर्वाह हो सके।'
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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