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________________ ऋषभदेव आज से करोड़ों वर्ष पूर्व एक महान आत्मा अयोध्या नगर में महाराज नाभिराय के राजमहल में माता मरुदेवी की कोख से उत्पन्न हुई जिसका नाम ऋषभदेव रखा गया। जैन मान्यतानुसार वह समय कृषि युग के आरम्भ का था, कृषि करो या ऋषि बनो यह उपदेश सर्वप्रथम आदिनाथ ने दिया था। कल्प वृक्षों (भोग भूमि) की समाप्ति के बाद आपने असि, मसि, कृषि, शिल्प, वाणिज्य एवं विद्या की शिक्षा दी। आपने अपने पुत्रों को सभी प्रकार की शिक्षा देकर मल्लविद्या, राजनीति, आदि अनेकों प्रकार की कलाएं सिखलाई। ब्राह्मी एवं सुन्दरी अपनी दोनों कन्याओं का अक्षर विद्या, अंक विद्या का ज्ञान कराया तथा इसी समय से अब तक ब्राह्मीलिपि से शिक्षा दी जाती रहीं भगवान् ऋषभदेव ने भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को उनकी योग्यता के अनुसार भिन्न-भिन्न विद्याएं यथायोग्य सिखाई। स्वयं राज्य शासन पर बैठकर निष्कंटक आदर्श राज्य किया। राज्य शासन के सुखमय समय में नीलांजना नाम की अप्सरा की अचानक मृत्यु देखकर विरक्त हो गये। तथा उसी समय अपना राजपद सबसे बड़े पुत्र भरत को सौंप कर दिगम्बरी दीक्षा ले ली। छ: माह तप करने के बाद छह माह तक आहार हेतु यत्र तत्र विहार करते रहे अन्त में हस्तिनापुर मे वैसाख सुदी तीज अक्षय तृतिया को राजा श्रेयांस ने सर्वप्रथम आहार दान दिया। ऋषभदेव संसार के सब पदार्थों, एवं अपनी स्त्री, पुत्र, परिवार यहां तक कि शरीर से भी मोह छोड़ चुके थे, तथा आत्म साधना में लीन हो जाने के बाद उन्होंने कर्मों को नाश किया तथा केवल ज्ञानी हो गये एवं समोशरण में अपनी दिव्यध्वनि के माध्यम से जन जन को कल्याण का मार्ग बताया। अन्त में समस्त कर्मों को नष्ट कर कैलाश पर्वत से कठिन तपश्चर्या करके मोक्ष पद को प्राप्त किया। वे जैन धर्म के प्रथम तीर्थ प्रवर्तक थे। श्रमण संस्कृति का विकास आपके द्वारा शुरू हुआ था तथा आज भी भारत वर्ष में वह परम्परा चल रही है। कथा का यह अंक भगवान आदिनाथ के जीवन पर प्रकाश डालता है जिसके कारण लाखों वर्षों के बाद आज भी वे वन्दनीय बने हुए हैं। सम्पादक ब्र० धर्म चंद शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य शब्दांकन मिश्री लाल जैन एडवोकेट गुना । I.S.B.N 81-858634-01-6 पुष्प नं : 50 मूल्य 20/प्रकाशक आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला जैन मन्दिर, गुलाब वाटिका लोनी रोड़, दिल्ली जिला:- गाजियाबाद फोन 0575--4600074
SR No.033237
Book TitleRushabhdev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrilal Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
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