SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऋषभदेव कैवल-ज्ञान की ज्योति ऋषभदेव भगवान के चारों और फैल गई। Soooo आश्चर्य मेरा सिंहासन कांपरहा है। स्वर्ग लोक में कोई विपत्ति आने वाली है। अशमैं भ्रम में पड़ गया था। ऋषभदेवजी को दुर्लभ केवलज्ञान प्राप्त हआहे। में प्रणाम करता हूँ। श्रमण ऋषमदेव जी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई है।जाओ समवशरणप्रवचनस्थलकी रचना करो। प्राणी मात्र के बैठने की सुविधा काध्यान रखना। आदि तीर्थकर ऋषभदेव भगवान की दिव्यध्वनिप्रवचन) इसससार का आदि है औरनअन्त। संसार में आपकी दो ही वस्तुएं सबसे महत्वपूर्ण है जीव और अजीव । आज्ञा का पालन जिनमें देखने,सुनने,समझने की शक्ति हैवह जीव होगा स्वामी। है और इन्हें छोड़कर सब अजीव है। ITEDO 298A RAMM2n. ENNIRMIRPATTRIPATIO
SR No.033237
Book TitleRushabhdev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrilal Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy