SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्रह्मगुलाल के पिता का नाम था हल। महाराज की उन पर विशेष कृपा थी। उनका विवाह भी महाराज ने ही कराया था। अतः जब ब्रह्मगुलाल का जन्म हुआ तो महाराज के सहयोग से उनका जन्मोत्सव बड़े ठाठ-बाट से मनाया गया । किसी प्रकार की भी कोई कमी नहीं रही। बालक ब्रह्मगुलाल बढ़ता गयापाठशाला जाने लगा खूब मन लगाकर पढ़ता। एक दिन रूप.. जो बदला नहीं जाता चित्रांकन: बनेसिंह कितना होनहार है यह बालक ब्रह्मगुलाल | पाठशाला में आज इसने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। बच्चों तुम भी इसी प्रकार मन लगाकर पढ़ा करो। 1 और बेटा ब्रह्मगुलाल हम तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। तुम जीवन में फलो फूलो और इसी प्रकार अपने आत्म-कल्याण में भी सबसे आगे रहो ।
SR No.033236
Book TitleRup Jo Badla Nahi Jata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy