SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1000 मंत्री जी, क्या करूं, सब्र होता नहीं। मैं सब समझता हूँ, पर रोना रुकता नहीं। वही पुत्र, मेरा प्यारा पुत्र, हर समय आंखों के सामने... क्या किया जाये महाराज | जो हुआ बहुत ही बुरा हुआ, परन्तु ब्रह्मगुलाल ने यह अच्छा नहीं किया। मंत्री जी, जो मेरे भाग्य में बंदा था, वही तो हुआ। इसमें उस बेचारे का क्या दोष ?. वह तो सच्चा कलाकार है। जो रूप धारण करता है, उस रूप ही हो जाता है वह तो बेचारा क्या मतलब है तुम्हाराक्या उसने जान-बूझ कर ऐसा किया ? 9 हहहहहह राजन्, यह तो ठीक है, परन्तु क्या वह यह भी भूल गया कि वह क्या करने जा रहा है। महाराज, मैं यह तो नहीं कहता, परन्तु यह सब अनजाने में हुआ हो, ऐसा भी मैं मानने को तैयार नहीं । ११ ह
SR No.033236
Book TitleRup Jo Badla Nahi Jata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy