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________________ जैन चित्रकथा एक दिन जब महाराज उग्रसेन अपने मन्त्री, सेनापति और सभासदों सहित राजदरबार में बैठे थे अन्नदाता। इरावती नगरी के महाराजा समुद्रविजय और द्वारकाधीश श्रीकृष्ण का दुत महाराज के दर्शनों की आज्ञा चाहता है। (CCCUT CONG can आज्ञाहै। ZNCO राजदूत दरबार में प्रवेश करके रत्नमंजूषा मेंट करने के पश्चात महाराज से निवेदन करता है। महाराज! द्वारकाधीश श्रीकृष्ण ने सन्देश भेजा है कि वह अपने भाई राजकुमार नेमिनाथ का विवाह आपकी पुत्री राजकुमारी राजुल से करना चाहते हैं। EGOR दूत ! क्या इस प्रस्ताव में राजकुमार नेमिनाथ के पिता । महाराज समुद्रविजय की । महाराज। भी स्वीकृति है? AMME दूत! महाराज समुद्राविजय और श्रीकृष्णसे जाकर कहना कि यह सम्बन्ध हमें प्रसन्न्तापूर्वक कम स्वीकार है। DiOSIAM और उसराजदूत को वस्त्राभूषण मेंट करके विदाकिया
SR No.033235
Book TitleRajul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrilal Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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