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________________ जैन चित्रकथा | प्रातः जूनागढ़ के राजमहल के एक सज्जित कक्ष में शोकाकुल राजुल को महारानी सान्त्वनादिरही है। | बेटी राजुल ! इतना दुख करना माँ। अच्छा नहीं। भारतवर्ष बहुत आप यह क्या बड़ा देश है और देश में कह रही है। वीर और सुन्दर राजकुमारों की कमी नहीं है। मैं तेरा विवाह नेमिनाथसे भी सुन्दर राजकुमार से करूँगी। बेटी! पागलपन की बातें नहीं करते। माँ। विवाह के लिये वरमाला और फेरे सामाजिक व्यवस्था है। मैं हृदय से नेमिनाय को पति स्वीकार कर चुकी इसमें पागलपन जैसी क्या बात है? 10
SR No.033235
Book TitleRajul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrilal Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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