SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्पादकीय आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी दिगम्बर जैन समाज के महनीय आचार्यों में श्री कुन्दकुन्द स्वामी का स्थान कितना ऊँचा है,। - इसे कौन नहीं जानता? इनके महत्व के बारे में जैन समाज आज तक गुणगान गाता आ रहा है। मंगलम् भगवान वीरो मंगलम् गोतमो गणी। मंगलम् कुंदकुंदाद्यौ जैन धर्मोस्तु मंगलम् ॥ भगवान महावीर पहला मंगल है, दूसरा मंगल गौतम गणधर जी, तथा तीसरा मंगल कुन्दकुन्द | । आचार्य है, चौथा मंगल जैनधर्म है। आचार्य श्री का जन्म स्थान कुन्दपुर था तथा प्रथम नाम पद्मनन्दि था। आचार्य श्री संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं के निष्णात् विद्वान थे। अध्यात्म जगत को | आत्मशोधन करने की प्रेरणा की, तथा 84 पाहुड़ (ग्रन्थ) लिखे हैं। जिसमें सबसे प्रमुख ग्रन्थ है । समयसार, जिसमें नव पदार्थों के श्रद्धान के माध्यम से जीव को मुक्ति प्राप्त करने का उपाय प्रतिपादित है। आचार्य श्री के विशेष पुण्य से देव आपको विदेह क्षेत्र ले गए, जहाँ पर साक्षात् सीमंधर | भगवान के समोशरण में उनके दर्शन एवं उनकी दिव्यवाणी सुनी। आचार्य श्री के द्वारा जब दिगम्बर | |एवं श्वेताम्बर में मतभेद उभरा तथा आचार्य श्री ने समाधान दिया। मन्त्र के माध्यम से पाषाण निर्मित मूर्ति अंबिका जी के मुख से समाधान कराया। ____ आचार्य श्री ने अपनी तपस्या तमिलनाडु के पौन्नुरमलई नामक स्थान जो आज भी अपने तप | त्याग को स्मरण करा रहा है। आचार्य श्री की सेवा सर्वश्रेष्ठ कही जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसीलिए आचार्य कुन्दकुन्द को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ। ऐसे आचार्य भगवन्त के चरणों में | त्रिकाल नमोस्तु करता हूँ। ब्र. धर्मचन्द शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य जैन चित्र कथा - आशीर्वाद सम्पादक शब्द चित्रकार मूल्य प्रकाशक प्रकाशन वर्ष मुद्रक आचार्य कुन्दकन्द स्वामी जी। गणिनी आर्यिका श्री 105 स्याद्वाद्मति माता जी ब्र. धर्मचंद शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य ब्र. प्रभा पाटनी B.Sc. B.L.L.B. बनेसिंह 15.00 आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला एवं मानवशांति प्रतिष्ठान 2004 शिवानी आर्ट प्रेस दिल्ली-32 -
SR No.033229
Book TitleKundkundacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabha Patni
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy