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________________ उद्यानपाल धनकुमार को नम्रता से प्रभावित हो कर उसे अपने घर ले गया। बेटी यह हमारा अतिथि है। मेरा भानजा है। बहुत दिन बाद तुझे देखने आया है। इसका खूब आदर सत्कार करना। भैया तुम कौन हो ? आप इतने बड़े आदमी मेरी हंसी क्यों कर रहे हो?) आपने मुझे पहिचाना ( नहीं। मैं आपका सबसे छोटा पुत्र धनकुमार ही तो है। तेरे आने के बाद यक्षों ने हमारा सब धन छीन लिया और हमें कोड़ों से मारा। एक तो तेरे वियोग का दुख और दूसरा सम्पत्ति जाने के दुख से दुखित होकर तुझे दूदने के लिये घर से निकल पड़ा ढूंढते ढूंढते यहां राजगृहों में आ पहुंचा हूँ। यहां पर मेरी बहिन भी रहती है। WE धनकुमार अपने पिताजी को लेकर अपने घर आ गया। 21 अच्छा पिता जी! उद्यानपाल के पास रहते-रहते धनकुमार ने अपनी योग्यता दिखलाकर धनश्री, गुणवती आदि अनेक कन्याओं से विवाह किया और सुखपूर्वक रहने लगा।। एक दिन राह में चलते-चलते ...... पिताजी। मुझे अपनी माताजी व भाईयों की बहुत याद आ रही है। आपकी आज्ञा (हो तो उन्हें यहां बुला (जैसी तुम्हारी इच्छा 1
SR No.033228
Book TitleJo Kare So Bhare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
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