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________________ एक दिन..... पिताजी। हमारा यह छोटा भाई बिल्कुल निकम्मा होता जा रहा है, कुछ करता धरता नहीं। इधर उधर वैसे ही घूमता रहता है। इससे कुछ काम कराना चाहिये ताकि, यह कुछ कमा सके/ Bioce SPOT अब सातों पुत्र नहीं माने तो मजबूर होकर चलते समय अनेक शुभ शकुन हुए। भैया यह गाड़ी मुझे दे दो और ५०० दीनारें ले लोग Kavy | बच्चों जो तुमने कहा ठीक है । परन्तु अभी यह बहुत छोटा है। अभी इसके खेलने खाने के दिन है। कुछ दिन बाद अब यह जरा बड़ा हो जायेगा इसे व्यापार (के लिये भेज देगा। बेटा धनकुमार लो में 800 दीनार) और यह सेवक और व्यापार करने के लिये चले जाओ। 13 दिल मुझे स्वीकार है 114 (भैय्या इसका ध्यान रखना। यह बहुत छोटा है। और हो। जो बीच यह ले इसे मना न (करना!)) नागप
SR No.033228
Book TitleJo Kare So Bhare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
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