SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुफा के द्वारसे पत्थर हटाते हुए.. हे मुनिराज! मैं आपका दास हूं क्योंकि आपके धर्मोपदेशसे ही मुझे देव पर्याय मिली है अब हमें कल्याण का मार्गबताइये। हेभव्यों। तुम धर्म को धारण करो जीव अजीव आदि सात तत्वों काजैसास्वरूप हैं वैसा श्रद्वान करो, उनका ज्ञान करो,अपने चरित्र का निर्मलबनाओ तुम्हारा कल्याणहोगा महाराज! मुझे कृपया गृहस्थक योग्य व्रत दीजिये ताकि मैं भी धर्ममार्ग पर चलकर अपना कल्याण कर सकू। तुमने भमा विचारा! तुम्हारी होनहार उतम है। तभीतोतुम्हारे ऐसे विचार हुए'तुम विश्वगुणसम्पतिनामका (व्रतगृहणकरो | यहव्रतमबुग्यों के वैभव का मूल कारण है। तथादरिद्रता कामाश करने वाला है। न
SR No.033228
Book TitleJo Kare So Bhare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy