SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यहां जब भोगभूमि की रचना मिट चुकी थी एवं कर्मभूमि की रचना आरंभ हो रही थी, तब अयोध्या नगरी में अन्तिम कुलकर नाभिराज का जन्म हुआ था। इनके काल में जन्म के समय बालक की नाभि में नाल दिखलाई देने लगी थी। महाराज नाभिराज ने उस नाल को काटने का उपाय बताया था। इसलिए, उनका नाम नाभिराज सार्थक हुआ था। इन्हीं के समय में आकाश में श्यामल मेघ दिखने लगे थे। इन्द्रधनुष की विचित्र आभा छिटकने लगी थी। विद्युत चमकती थी। वर्षा होने से पृथ्वी की शोभा अभ्दुत हो गयी थी। कहीं सुन्दर निर्झर कलरव करते हुए बहने लगतेथे। कहीं पहाड़ों की गुफाओं से इठलाती हुई नदियां बहने लगी थी। कहीं मेघों की गर्जन सुनकर वनों में मयूर नाचने लगे थे। आकाश में श्वेत बगुले उड़ने लगे थे। समस्त पृथ्वी पर हरी भरी घास उत्पन्न हो गई थी। उस वर्षा से खेतों में अपने आप तरह-तरह के धान्य अंकुर उत्पन्न हो कर समय पर योग्य फल देने लगे थे। यद्यपि भोग उपभोग की समस्त सामग्री मौजूद थी परन्तु प्रजा उसे काम में लाना नही जानती थी इसलिए वह यह सब देखकर भ्रम में पड़ गई। अब तक भोग भूमि बिलकूल मिट चुकी थी एवं कर्मयुग का आरंभ हो चुका था परन्तु लोग कर्म करना नहीं जानते थे, इसलिए वे भूख-प्यास से दुखी होने लगे। एक दिन चिन्ता से व्याकुल हुए समस्त प्राणी महाराज नाभिराज के पास पहुंचे एवं उनसे दीनता पूर्वक प्रार्थना करने लगे। (खेतों में कई तरह के छोटे पौधे लगे हुए हैं जो बालों के महाराज! आपके उदय से अब मनचाहे फल देखिये कल्प वृक्षों के बदले ये अनेक भार से झकने के कारण मानो महीदेवी को नमस्कार देने वाले कल्पवृक्ष नष्ट हो गये हैं। इसलिए हम अन्य वृक्ष उत्पन्न हुए हैं जो फल के भार कर रहे हैं। कहिए ये सब किसलिए पैदा हुए हैं। सब भूख-प्यास से व्याकुल हो रहे । कृपा कर से नीचे झुक रहे हैं। इनके फल खाने महाराज ! आप हम सब के रक्षक हैं, बुद्धिमान हैं, जीवित रहने का कुछ उपाय बतलाईये। से हम लोग मर तो नहीं जायेंगे। इसलिए इस संकट के समय हमारी रक्षा कीजिए। fuuuu AUTILITERALLLL मज्पपज्ज 0222nDocean2200000 000000000000aanana मान्यण्ण्प्यन्यत्र चौबीस तीर्थकर भाग-1
SR No.033221
Book TitleChoubis Tirthankar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy