SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चन्दन बाला सम्पादकीय यों तो सुन्दरता के सभी प्रेमी हैं वह चाहे जड़-चेतन, नर-नारी में पर इतिहास साक्षी है नारी की सुन्दरता, आदमी को आदमी नहीं रहने देती इसमें दोष सुन्दरता का नहीं, दोष आदमी की उस कमजोरी का है जो नारी की सुन्दरता को वासना के रूप में उभारती है। प्रस्तुत कृति का कथानक सुन्दरता की संज्ञा का एक नमूना है जिसे चन्दन बाला की सम्यक दृढ़ता में सुन्दरता की इस सजा को स्व स्वरूप में बदल दिया था। चम्पापुरी नगरी के राजा दधिवाहन जिनकी रानी धर्मधरणी जिसे अति सुन्दर होने के कारण कोशाम्बी नगर के राजा शतानीक का सेनापति कोफ -मुख स्वयंबर में न ले जाने के कारण दधि वाहन पर चढ़ाई कर रानी धर्मघरणी को छल-बल से वन में ले जाता है। पर वहां रानी मृत्यु को गले लगाकर इस धूर्त की कामना पूरी नहीं होने देती है। तब साथ में गई पुत्री चन्दन बाला को वह कोशाम्बी के बाजार में गणिका के हाथ बेचता है, फिर चन्दनबाला किसी तरह अपने सतीत्व की सुरक्षा करती है। पढ़िये इस परम पावन कृति में । आचार्य धर्मश्रु ग्रन्थमाला ऐसी ही जैन चित्र कथा का प्रकाशन करती है तथा आगे भी करती रहेगी। धर्मचंद शास्त्री प्रकाशक :- आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला गोधा सदन अलसीसर हाऊस संसार चंद रोड जयपुर सम्पादक :- धर्मचंद शास्त्री लेखक :- श्री मिश्रीलाल जी जैन एडवोकेट गुना चित्रकार:- बनेसिंह मुद्रक : सैनानी ऑफसेट फोन : 2282885, निवास 2272796 मूल्य 12/
SR No.033220
Book TitleChandanbala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrilal Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy