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________________ सिकन्दर वीरों और स्वाभीमानी राजाओं का सम्राट सिकन्दर । भारतवर्ष में वीर और स्वाभीमानी सम्मान करना जानता है। आप स्वतंत्र है। । राजाओं की कमी नहीं है। दुर्भाग्य से आपस में शत्रता आज से मेरे मित्र हैं। मै तक्षशिलालौट जाऊंगा, रखते हैं आप वीर हैं,वीरों का सम्मान करते हैं। मैं आपकी प्रशंसा करता हूं और मित्रता स्वीकार करता हूं। CBSESI AGRON सम्राट सिकन्दर ने महाराज पुरूको बंधन मुक्त कर दिया........... उघरसम्राट की सेनापतिजी। हम अपने युनान लौटने का सैनिक छावनी में वतन यूनानलौटना चाहते निर्णय तो देवला हैं! भारत वर्षबहुलबडादेशहै करेंगे,अंशकतशा इसे जीतना कठिन है। मैंने भारतवर्ष में दिगम्बर साधुओं की बड़ी प्रशंसा सुनी है। जाओ किसीदिगम्बर सन्यासी को हमारे दरबार में लाओ। महानसम्राट, मैं आपकी महाराज पुरू से भयंकर युच्दलड़ने भावनाएं सम्राट | के पश्चात सेनाएं तक पहुचा विश्रामचाहती है दूंगा उनकी इच्छा यूनान लौटने की है।
SR No.033216
Book TitleSikandar aur Kalyan Muni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Shastri
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year1988
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size37 MB
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