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Vikrant Patni
JHALRAPATAN
सम्पादकीय
संस्कृति का ज्ञान कराने के
भारतीय जैन लिए जैन चित्रकथा अति आवश्यक है । वर्तमान समय में कथा कहानियाँ पढ़ने की रुचि युवा वर्ग में अधिक देखी जा रही है। जीवन को उन्नत बनाने वाली कथाओं के पढ़ने से आत्मोन्नति होती ही है तथा पुन्योपार्जन का कारण भी है, धार्मिक कथाओं के पढ़ने से आत्म शान्ति का अनुभव होता है। भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराने के लिए कथा साहित्य अति ही आवश्यक है ।
इस कृति में क्रीड़ा कौतकी तथा सतत् विहार करने वाले नारदजी श्री कृष्ण के दरबार में आए तथा कुछ समय ठहर कर चपल स्वभावी नारदजी अन्तपुर सत्यभामा के महल गये, सत्यभामा ने नारदजी का अपमान किया। अहंकार से युक्त नारद जी ने अपमान का बदला लेने की भावना से रुकमणी का पाणिग्रहण संस्कार श्री कृष्ण के साथ करा कर सौत के रूप में बदला लिया। रुकमणी के पुत्र प्रद्युम्न ने नाना प्रकार के कौतुहल कर के मानव समाज का मनोरंजन कर प्रायश्चित करने के हेतु धर्म साधना में तल्लीन होकर अपनी आत्मा का उद्धार कर गये ।
- धर्मचंद शास्त्री