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________________ सम्पादकीय भारतीय कथा साहित्य में जैन कथा साहित्य काफी समृद्धि लिये हुए तो है ही; साथ ही वह अपना अलग से वैशिष्ट्य लिए हुए भी है । जिसके कारण भले ही उरके कुछ पात्र अन्य कथाओं से साम्य लिये हुए हों ; परन्तु उनके उददेश्य एकदम पृथक् व अपने दार्शनिक व नैतिक गरिमा के अंदाज लिये हुए हैं। यदि जैन कथाकारों से यह प्रश्न किया जावे कि तुम्हारे नायक में ऐसी क्या विशेषता है कि, जो अन्य कथाकारों से पृथक करके अपनी स्वतन्त्र पहिचान बनाने में सरलतमरूप से सक्षम हो, सहज ग्राह्य हो । तो जैन कथाकारों का एकमेव उत्तर होगा कि उनके नायक न तो ईश्वरीय रूप हैं , और न ईश्वर ही ; अपितु अपनी प्रभुता को प्रगट करने की महत्वाकांक्षा वाले वे सामान्य-पात्र हैं, कि जिनका लक्ष्य वीतरागता है, और अपने प्रतीक्षित-क्षण में उस वीतरागी नग्न दिगम्बर दशा को प्रगट करते हुए कथा का समापन करते हैं । जो कि सही अर्थों में इस संसार रूपी मंच में खेले जाने योग्य नाटक है। जैसा कि आप इस कॉमिक्स में पायेगें ही। ___ इस कॉमिक्स का प्रिय पात्र ब्रह्मगुलाल फिरोज़ाबाद के समीप चन्द्रवार नामक स्थान का लगभग 16-17 वीं शताब्दी में पद्मावती-पुरवाल जाति को सुशोभित करने वाले एक अभिनयरत्न पुरुष हैं। इनका इस कामिक्स में कुछ पौराणिक व कुछ कल्पनालोक से लिए मोतियों को चुन-चुनकर यहाँ माला के रूप में पिरोया है ; जो संस्कार-विहीन पीढ़ी का कण्ठहार बनी, तो मेरे लिए यह गर्व की बात होगी ; और मुक्ति-कामिक्स परिवार का सही वक्त पर सही कदम भी .....। डा. योगेशचन्द्र जैन | इक्कीस कामिक्सों के संग वढ़ें इक्कीसवीं सदी को कदम ..........| संरक्षक सदस्य 5001) सम्मानित सदस्य 1001) सदस्य 151)
SR No.033211
Book TitleNatak Ho To Aise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogesh Jain
PublisherMukti Comics
Publication Year2000
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size32 MB
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