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________________ 14. मुक्ति कामिम्स और यह खबर चारों तरफ फैल गई लोग बातें करने लगे... अरे भोट ! 38, देख शहर में क्या हो रहा कुछ सुना तने ९ अपना गुलाल ... चल नाश यहाँ से! बड़ा आया यहाँ गुलाल लगाने. पागल.. मुझे जगा दिया आकर .. अरे मूख! अभी क्या होली है में श्री - मीठे स्वप्न देख रहा था. नई ! मै तो मित्र गुलाल की बात कर रहाँ था | सुना है वह अब साधु ... ठीक है ठीक है.. मैं सब भर जैसा भोटा-ताजा सोना चाहता है | वार.. भाई वाह ! बढ़ियाबढ़िया स्वादिष्प भोजन, खूब सेवाप्रशंसा और मजे में सोते रहो. नटी भाई ! नहीं, ऐसा नहीं, वर नग्न दिगम्बर जैन साधु बन रहा है ... इसमें गम्भीर जानव तपश्चरण
SR No.033211
Book TitleNatak Ho To Aise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogesh Jain
PublisherMukti Comics
Publication Year2000
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size32 MB
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