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________________ काण्डशस कुन्दकुन्द आशीवाद एवं शुभवचन कहकर पंडितजी। दक्षिणाले जाइयेगा सभी जैछ आदिजाने लगे त... हमारी दक्षिणा मिल चुकीनगरसे6।। बालकका दर्शन कर मकाथ एए । बेटा पदम! कुछ समय आकर पद ला कमल पुष्प की तरह प्रसन्नता) बिखेरते पदमनंदिचारवर्ष काही चला। मां (सेठानी)ने प्रारंभिक अक्षर ज्ञान के साथ धार्मिक शिक्षा देना भी भारंभ ) कर दिया और एक दिन... नहीं मां ! मैं तुमसे (नहीं पढूंगा । भव तुम नई बात नहीं सिखती हा मुझे। अब इस पदम को क्या पठाऊँ! जो कुछ मुके ज्ञान था वट तो इसने कुछ महीनों में ही सीख लिया)। अब इसकी जिज्ञासा कैसे शीत कर ?? हा एक रास्ता अवश्य है, रात को मै पढूंगी और सुबह वही पदमको पहाऊँगी। यही टीका रहेगा। MULAnal
SR No.033209
Book TitleKaudesh se Kundkund
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogesh Jain
PublisherMukti Comics
Publication Year2000
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size33 MB
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