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________________ कानजी स्वामी लगभग 2000 भक्तों के साथ उत्तर । आपके साथ बसों और 30कारों का लम्बा भारत के सम्पूर्ण जैन तीर्थो कीयात्राकरते हुए फाल्गुन काफिला था। |27शुक्ला सप्तमी सं. 2013 को तीर्थराज सम्मेद | KESH शिखर पधारे। उन्होंने बड़े भक्ति भाव से क्षेत्र की वंदना की। SCISM TATUHINI LALL मधुवन में प्रतिदिन आपके तात्विक प्रवचन वहां आपका क्ष गणेश प्रसाद जी वर्णी से प्रथम होते थे। बार साक्षात्कार हआ।आप अच्छे विचारक कुछ लोगों के मन में शंकाएं घर us on व्यक्ति है । दिगम्बर धर्म में कर गई थीं वे समाधान हेतु स्वामी आपकी दृढ आस्था है। जी से मिले। शंकाओं का निवारण तो होना ही चाहिए। |स्वामीजी ने अपने प्रवचन में कहा। मरण से बचना है तो उसका उपाय संयम (है और संयम चैतन्य मूर्ति आत्मा की पहचान बिना प्रकट नहीं होता, इसलिये आत्मा) को पहचानो... वही एक शरण है।
SR No.033208
Book TitleKahan Katha Mahan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bansal
PublisherBahubali Prakashan
Publication Year2000
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size32 MB
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