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प्रातः एवं दोपहर को जैन ग्रन्थों 18 का आध्यात्मिक प्रवचन...
सोनगढ़ में आत्मार्थियों की भीड़ लगने लगी. सैकड़ों ने तो वहां -स्थायी निवास ही बना लिया..
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.AA युवा वर्ग की रुचि आध्यात्म में जागृत करने के लिए सं० 1997 से प्रतिवर्ष जुलाई माह में 20 दिन की शिक्षण कक्षाएं आयोजित होने लगी.
रात्रि को तत्व चर्चा. कानजी स्वामी का यह नियम जीवन पर्यन्त रहा.
लोग कानजी स्वामी को गुरुदेव कहने लगे. उस समय हजारों श्वेताम्बरों ने गुरुदेव कानजी से प्रभावित होकर दिंगम्बर जैन धर्म स्वीकार कर लिया.
दानवीर सर सेठ हुकम चन्द जी जैन (इन्दौर) बैशाख वदी 6 सं० 2001 को न्यायालंकार पं. बंशीधर जी आदि विद्वानों के साथ सोनगढ पधारे