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________________ शव अपराध क्षण भर का | उसी नगर में रहते हुए नन्दश्री ने एक पुत्ररत्न को जन्म दिया। तभी अचानक श्रेणिक के एक खास व्यक्ति ने पिता की मत्यु व चिलाती के राजा होने का सन्देश व एक गप्त पत्र लाकर दिया। बिल्कुल तुम्हारे जैसा है, बुद्धिमान और अभय... कैसा है, मेरा लाल योजनानुसार श्रेणिक ने अपने पिता के घर । | जाने का निर्णय लिया.. श्रेणिक के आने का समाचार मगध देश में फैल गया। अब हम पर हो रहा अत्याचार समाप्त हो जायेगा। श्रेणिक आये समझो हमारी शान्ति आ गयी। प्रिये! मेरा जाना जरूरी है। अतः जब तक मैं न बुलाऊँ। तुम अपने पिता के घर पर ही रहना... - जब चिलाती ने यह सुना तो वह मारे डर के कुछ सोना चाँदी लेकर गायब हो गया। m उधर सारे मंत्री व नागरिक श्रेणिक को राजा बनाने के पक्ष में हो गये और उसे गाजे-बाजे के साथ राजदरबार में प्रवेश कराया। Page
SR No.033205
Book TitleApradh Kshan Bhar Ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogesh Jain
PublisherMukti Comics
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size30 MB
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