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________________ अकाल की रेखाएँ / 4 और फिर कुछ सोचकर गोवर्द्धनाचार्य ने बालक को शिक्षा देने की इच्छा से पूछा - रे महाभाग्यशाली कुमार! तेरा नाम क्या है ? प्रभो! मैं ब्राह्मणवंशी सोम शर्मा व तेरे पिता कौन हैं और वे कहाँ हैं ? माता सोमश्री का पुत्र भद्रबाहु हूँ। अच्छा! तो क्या तुम हमें अपने माता-पिता से मिलवाओगे। क्यों नहीं, पूज्यवर! मैं अभी उन्हें बुलाकर लाता हूँ मुनिराज को दूर से देख भद्रबाहु के माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए और पास आकर बोले... नमोऽस्तु! भगवन् ! आपके चरण-कमलों के प्रताप से यह भूमि पवित्र हुई।
SR No.033203
Book TitleAkaal ki Rekhaein
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPawan Jain
PublisherGarima Creations
Publication Year2000
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size39 MB
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