SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अकाल की रेखाएँ | 21 यह समाचार सुनकर श्रावकों में हाहाकार मच गया। सभी ने मुनिसंघ से निवेदन किया - स्वामी! यह काल अत्यन्त भीषण है, अत: आप कुछ दिन को वनवास त्याग दें... (और सुरक्षित स्थान पर आकर रहें,) - ताकि आपको आहार आदि में कष्ट ( न हो और आपकी रक्षा भी हो सके। ST मुनिसंघ ने श्रावकों के कथन को स्वीकार कर लिया। फलस्वरूप श्रावक मुनियों को उत्सवपूर्वक नगर के मध्य सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगे। अरे ! ये मुनि का उत्सव है या (वाह ! कितना अच्छा शहररूपी श्मशान में मुनिधर्म की उत्सव. शवयात्रा? क्या ? AR AT 4 - THE
SR No.033203
Book TitleAkaal ki Rekhaein
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPawan Jain
PublisherGarima Creations
Publication Year2000
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy