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________________ सर सेठ हुकुमचन्द्र ब्रह्मचारी जो जैनधर्म के सच्चे महात्मा थे, धर्म की वे एक सजीव मूर्ति थे / उनकी धार्मिक निष्ठा और लगन के कारण हमारी उन पर महान् श्रद्धा थी. और हम उनके प्रति बहुत पूज्य बुद्धि रखते थे / जो काम आचार्य समन्तभद्र ने किया था वैसा ही काम ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद जी ने किया / रा० ब, लालचन्द्र सेठी उनमें जैनधर्म के विश्वव्यापी प्रचार की विशेष भावना थी। रा० ब० लाला हुलासराय त्यागी होकर इतने परिश्रमी, विद्वान, लेखक, अध्यात्मरसिक, व्याख्याता, टीकाकार होना अति दुर्लभ है / सेठ बैजनाथ सरावगी बंगाल-बिहार उड़ीसा में रहने वाले “सराफ" कहलाने वालों को श्रावकाचार में प्रवत्त कराने में ब्रह्मचारी जी अग्रेसर रहे / श्री विश्वम्भरदास गार्गीय वे जैन समाज के आदर्श कार्यकर्ता, आदर्शत्यागी चरित्रवान थे उनके कार्यों से किसी दूसरे की उपमा नहीं दी जा सकती / उन्होंने अनेकों को विधर्मी होने से बचा लिया, अनेकों को सन्मार्ग पर लगा दिया / . .
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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