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________________ (छ) धार्मिक : 1- जैन धर्म प्रकाश, 2- विद्यार्थी जैन धर्म शिक्षा, 3- गृहस्थ धर्म 4. मानव धर्म, 5- जैन धर्म में अहिंसा 6- जैन धर्म में देव और पुरुषार्थ (ज) अंग्रेजी :1. What is Jainism. 2 Principles of Jainism 3. Selections from Atma-Dharma 4. Jain and Buddhist Tattvajnana 5. Barah Bhavana (Eng. trans.) 6 The Twenty-Three Tirthankaras. 7. Gommatasara-Karmakand, Vol. II (In Collaboration with B. Ajit Prasad) . (झ) ट्रेक्ट आदि :1- जिनेन्द्रमत दर्पण 2- जैनधर्म दर्पण, 3- सनातन जैनमत, 4- सच्चे सुख की कुंजी, 5- आत्मानंद का सोपान, 6- आध्यात्मिक निवेदन 7- अध्यात्मज्ञान, 8- मिथ्यात्व निषेध, 6- दशलक्षण, 10- अहिंसा, 11- सच्चे सुख का उपाय, 12- जैन धर्म क्या है ?, 13- जैन धर्म की विशेषताएं, 14- आत्मोन्नति या खुद की तरक्की, 15- मुक्ति और उसका साधन, 16- सुख शांति की कुन्जी, 17- विधवाओं और उनके संरक्षकों से अपील, 18- जैन नियम पोथी, 16- सामायिक पाठ टीका (छोटी), 20- महावीर भगवान और उनका उपदेश / / ___ उपरोक्त सूचीगत रचनाओं के अतिरिक्त भी ब्र० जी की अन्य छोटीछोटी कृतियां हो सकती हैं / जिन सज्जनों को ज्ञात हों वे सचित करने की कृपा करेंगे। यह भी संभव है कि उनकी कुछ रचनाएं अप्रकाशित भी कहीं पड़ी हों। उनकी सूचना भी अपेक्षित है। उपरोक्त रचनाओं में से अनेक, विशेषकर आध्यात्मिक वर्ग की रचनाएं सदैव पठनीय एवं मननीय रहने वाली है। उनका प्रतिष्ठासार-संग्रह एक सुधारवादी प्रयोग था / उन्होंने स्वयं दो एक प्रतिष्ठायें उसके अनुसार
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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