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________________ एक विशाल अखिल विश्व जैन संघ की संयोजना उनका एक प्रिय स्वप्न था, जिसके लिए वह सदैव प्रयत्नशील रहे। उसी प्रकार एक जैन विश्वविद्यालय की स्थापना भी उनका एक स्वप्न था। . व्यक्ति का मूल्य उसके समकालीन लोग बहुत कम समझ पाते हैं। आने वाली पीढ़ियां ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उसका उचित मूल्यांकन करने में कहीं अधिक समर्थ होती हैं / किन्तु बहुधा हम अपने वर्तमान में इतने अधिक त्रस्त हो जाते हैं कि अतीत के उपकारी महापुरूषों को विस्मृत करते जाते है, और इस प्रकार प्रेरणा के प्रबल स्त्रोतों को भुलाते चले जाते हैं / यह स्थिति समाज की प्रगति के लिए बड़ी अहितकर है / अन्य अनेक इतिहास-पुरूषों की भाँति हमने अपने धर्म और समाज के महान उन्नायक एवं सतत निश्छल सेवी स्व. व. शीतलप्रसाद जी को भी प्रायः भुला दिया / आवश्यकता है कि हम उनके जीवन एवं कार्यकलापों का स्मरण करके उनसे प्रेरणा लें और अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करें। साधु चन्दन बावना शीतल जाका अंग / तपन बुझावे और की, दे दे अपना रंग // ऐसे ही परोपकारी थे हमारे ब्रह्मचारी जी / विश्वविद्युत विज्ञानवेत्ता एवं दार्शनिक अलबर्ट आइन्स्टीन के शब्दों में- 'Only a life lived for others is a life worthwhile' :दूसरों के लिये जिया गया जीवन ही वस्तुतः सार्थक जीवन है / ( 14 )
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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