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________________ अब मत 25 अक्टुबर, 1982 को कानपुर में आयोजित भारतीय दिगम्बर जैन परिषद के वार्षिक अधिवेशन के सिलसिले में लखनऊ में स्व० श्री ब्रह्म० शीतला प्रसाद जन्म शताब्दी समापन समारोह मनाया गया.। यह समारोह जैन धर्म प्रबर्धनी सभा लखनऊ के तत्वाधान में मनाया गया। परिषद के अधाम श्रीमन्त सेठ डालचन्द जी जैन मुख्य अतिथि थे, हमने स्वागताध्यक्ष के रूप में सभा की अध्यक्षता की। कानपुर अधिवेशन पहिले दिन ही समाप्त हो गया था, अतएव वहाँ देश के विभिन्न स्थानों से समानत परिषद के नेताओं, कार्यकर्ताओं, परिषद प्रेमियों और ब्रह्मचारी .जी के भक्तों में से अधिकांश ने उक्त अवसर पर लखनऊ पधारकर उक्त समापन समारोह में सोत्साह भाग लिया, ब्रह्मचारी जी के प्रेरणाप्रद कृत्तिव पर प्रकाश डाला तथा उनके उठाए हुए कार्यक्रमों को चलाते रहने पर बल दिया / मंच पर मेरे बराबर ही श्री डालचन्द जी विराजमान थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मचारी जी के जीवन पर कम से कम एक पुस्तक तो प्रकाशित होनी ही चाहिए। हमने उन्हें पुस्तक की कहानी सुनायी तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ तुरत श्री राजेन्द्रकुमार जी से पूछा तो उन्होंने कहा कि हाँ पुस्तक की पाडुलिपि तो पड़ी है, किन्तु अर्थाभाव आदि कतिपय कारणों से वह अभी तक प्रकाशित नहीं हो सकी। अध्यक्ष जी ने कहा कि उसकी 2000 प्रतियाँ तत्काल छपवालें और जो व्यय लगे उनसे मगा ले। राजेन्द्र कुमार जी के यह कहने पर कि शायद डाक्टर साहब उसे एक बार देखना पसंद करें अतः हम दोनों की सहमति हुई और अन्ततः 10 जनवरी, 1983 को वह पांडुलिपि हमें प्राप्त हुई / उसे देखकर तथा पर्याप्त संशोधन-संवर्धन करके इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। श्री डालचन्द जी का उत्साह इसी से स्पष्ट है कि उक्त समापन समारोह के पश्चात कई पत्र उन्होंने श्री राजेन्द्र कुमार जी को पस्तक हमारे पास भेजने के लिये तथा हमें उसकी प्रेस कापी तैयार करके सीधे उनके पास सागर भेज देने के लिए लिखे। श्रीमन्त सेठ डालचन्द जैन, सागर (म० प्र०) के सुप्रसिद्ध "बालक बीड़ी" प्रतिष्ठान मेसर्स भगवानदास शोभालाल जैन के मेनेजिंग डायरेक्टर तथा दानवीर श्रीमम्त समाज भूषण सेठ भगवानदास जी के ज्येष्ठ
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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