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________________ प्राक्कथन 1. ? "जैनधर्म भूषण" "धर्म दिवाकर'' स्व. ब्रह्मचारी शीतल प्रसार जी वर्तमान शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जैन समाज की एक विशिष्ट महत्वपूर्ण चिरस्मरणीय विभति रहे। वह धर्मात्मा, धर्मज्ञ, शास्त्र मर्मज्ञ, टीकाकार एवं व्याख्याता, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, कुशलववता, उत्साही धर्मप्रचारक एवं उत्कट समाज सुधारक थे / अपने 64 वर्ष के जीवन में लगभग 47 वर्ष उन्होंने समाज सेवा में व्यतीत किये एवं किशोरावस्था के शिक्षा दीक्षा में व्यतीत कर प्रारंभिक 17 वर्ष के उपरान्त लगभग दस वर्ष वह एक समाजचेता एवं समाजसेवी सद्गृहस्थ रहे, तदन्तर 4-5 वर्ष उन्होंने समाज की समस्याओं पर चिन्तन करने एवं अनुभव प्राप्त करने हेतु भ्रमण में बिताए और शेष लगभग 32 वर्षं उन्होंने एक ब्रती संयमी ब्रह्मचारी परिब्राजक के रूप में धर्म, संस्कृति एवं समाज की सेवा में पूर्णतया समर्पित भाव से व्यतीत किये / उन्होंने अनेक स्पहणीय उपलब्धियां प्राप्त की, सफलताएँ भी मिलीं, कुछ विफलताएँ भी, तथापि एक सार्थक जीवन बिताया / इस विषय में अतिशयोक्ति नहीं हैं कि उसी युग में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस प्रकार सम्पूर्ण देश में राष्ट्रीय चेतना जागृत करके तथा स्वतंत्रता संग्राम छेड़कर सत्य एवं अहिंसा के मार्ग से देश को अन्ततः स्वतंत्र करा दिया, उसी प्रकार स्व. ब्रह्मचारी जी ने जैन समाज में अभूतपूर्व जागृति उत्पन्न करके उसे प्रगतिशील बनाने में यथाशक्य योग दिया। किन्तु, कृतघ्न समाज ने अपने उपकर्ता को प्रायः विस्मत कर दिया। 1978 में उनकी जन्मशती थी और 1982 में उनके अवसान को भी 40 वर्ष बीत चुके थे। उनके निधन के पश्चात उनकी स्मृति बनाए रखने के लिए अनेक योजनाएं बनी, जिनमें से एक भी पूरी न हो सकी / भारत वर्षीय दि. जैन परिषद के तत्कालीन महामंत्री स्व. ला. राजेन्द्रकुमार जैन ने "वीर" का "शीतल अंक" 1944 में प्रकाशित किया था, जो कि 120 पृष्ठ का सचित्र, अति भव्य एवं तथ्यपूर्ण विशेषांक था। 1951 में ब्रह्मचारी जी के सहयोगी बा. अजित प्रसाद बकील ने सेन्ट्रल जैन पब्लिशिंग हाउस से "ब्रह्मचारी शीतल" नाम से से ब्रह्मचारी जी की 142 पृष्ठीय जीवन गाथा प्रकाशित की थी। (4)
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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