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________________ 8] ससुराल जाते समय SOOSHOOSHOCS BOSS OSLO OSPOSTO CSECSECSECSHOUSES पहुँचे, व उनका चित्त दुखे। तू हर प्रकारसे पतिको प्रसन्न रखनेकी चेष्टा करते रहना, क्योंकि संसारमें यही तेरा सर्वस्व है। स्वप्नमें भी पति सिवाय अन्य पुरुषोंमें हास्यादि भण्ड वचनरूप व्यवहार न रखना, न किसीकी ओर कुदृष्टि डालना न कभी बुरे गीत गाना जो शीलधर्मके घातक हैं / तथा अपने से बड़े पुरुषको पिता, समवयस्कोंको भाई और लघुवयस्क युवा बालकादिको पुत्रवत् समझना। यही तेरा सच्चा आभूषण है।। (19) शाक, भाजी, चटनी, आचार, मुख्खा तथा अनेक भांतिका पकवान, मिष्टान आदि समयानुसार जो अपने घरसे लोगोंको रुचिकर प्रकृतिके अनुकूल तथा धर्म व कुलाचारके अविरुद्ध हों वे मर्यादापूर्वक तैयार करना, क्योंकि मर्यादाके बाहिर इन वस्तुओंमें त्रस जीवोंकी उत्पत्ति हो जाती है, जिससे वे अभक्ष्य हो जाते हैं। पदार्थोकी मर्यादा इस प्रकार हैं कि “आटा व हल्दी मिर्च नमक आदि पिसा हुआ मसाला शीतऋतुमें 7 दिन, उष्णऋतुमें 5 दिन और वर्षाऋतु में 3 दिन रहता है।"आचार, मुरब्बा, मिठाई, पूरी, पकवान जिसमें जलाश कम हो 24 घण्टे, वडी, पापड, सेमई आदि जिस दिन बनावे उसी दिन, और यदि घी, तेल, आदिमें सेक रक्खी होवें तो दूसरे दिन तक, रोटी सबेरेकी शाम तक, दाल भात शाकादि दोपहर मात्र तुरंतका छना हुआ पानी दो घडी, लवांगादिसे प्रासुक किया हुआ दोपहर और गरम किया हुआ पानी, 8 पहर काम आ सकता है, पश्चात् मर्यादा बाहर समझना। पानी सदैव गाढे और स्वच्छ सफेद खादीके दौहरे छन्नेसे छानकर जीवानी उसी जलाशयमें भेजना। रसोईघर, वरन्डा, चक्की, उखल, भोजनशाला, अनाज आदि शोधने बीनने छानने व मसाला आदि पीसनेकी जगह शयनागार
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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