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________________ 72] ऐतिहासिक स्त्रियाँ आवश्यकता है कि पति-पत्नीका परस्परमें यथोचित प्रेम हो, पर खेद है कि शिक्षा न मिलनेके कारण हमारी स्त्री समाजमें पतिभक्ति या पतिप्रेमकी उतनी मात्रा नहीं है जितनी होनी चाहिये। मानव समाजकी वास्तविक उन्नतिमें अन्य बाधाओंकी तरह स्त्री समाजका शिक्षित न होना, उन्हें अपने कर्तव्योंका ज्ञान न होना यह भी एक प्रबल बाधा है। हम उस समयकी प्रतिक्षा कर रहे हैं कि जिस समय हमारे जैन समाजमें रयनमंजूषा जैसी पतिपरायणा नारियां उत्पन्न हों और जातिको फिर भी एकबार अपने सकर्मोसे उन्नतिशालिनी बनायें। धन्य है यह भारतवर्ष, जहां ऐसी२ रमणीरत्न जन्म धारणकर इस भूमिको पवित्र कर गई हैं। यद्यपि ऐसे उदाहरणोंसे भारतका सम्पूर्ण इतिहास भरा पड़ा है तथापि हमने कुछ आदर्श होने योग्य शीलवती, सतीत्व परायण, नारियोंके चरित्रोंका यह संग्रह किया है। सुहृदय पाठक पाठिकाएं इसीसे अवश्य शिक्षा ग्रहण करेंगी और उनका अनुकरण करेंगी, यही आशा हृदयमें रख क्षुद्र लेखक संप्रति बिदा होती है। ॐ शांतिः ! शांतिः !! शांति: !!! // इति॥
SR No.032862
Book TitleAetihasik Striya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendraprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1997
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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