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________________ महारानी चेलनादेवी [25 धर्मगतप्राणा३-महारानी चेलनादेवी "चेलना रानी थी श्रेणिक राजका, विद्वती पतिव्रत-रता सिरताज थी। उसने निज आध्यात्मिक बलसे यथा, धर्ममय पातकी किया सुनिये कथा॥ अनुमान 2500 वर्षसे अधिक समय व्यतीत हो चुका। वैशालीपुर (सिन्धु प्रदेश) में महारानी चेलनाका जन्म हुआ था। इनके पिताका नाम महाराज 'चेटक' था। जो उस नगरमें शांतिपूर्वक राज्य करते थे। माताका नाम रानी 'सुप्रभा' था। इनकी छः बहिनें थीं। जिनमें पांच इनसे बड़ी और एक छोटी थी। सबसे बड़ी राजकुमारी प्रियकारिणी (त्रिशला) कुण्डलपुर (बिहार) के सिद्धार्थ नामक राजासे विवाही गई थी। इसी शुभ संयोगसे जैन धर्मकी सारे भूमण्डलमें विजय वैजयन्ती उड़ानेवाले अंतिम तीर्थंकर, श्री वर्द्धमान (महावीर) स्वामीका जन्म हुआ। इन सातों राजकुमारियोंको बाल्यावस्थामें उत्तमोत्तम शिक्षाएं दी गई थीं। जिनसे इन्होने और विषयोंके साथ२ सत्य धर्म जैनधर्मका मर्म अच्छी तरह समझ लिया था। ____ संयोगवश राजकुमारी चेलनाकी शादी राजगृही (बिहार) के राजा श्रेणिकके साथ हुई। महाराज श्रेणिक बौद्ध धर्मावलंबी थे। इसलिये दोनों स्वामी और भार्या अपने अपने धर्मकी प्रशंसा कर एक दुसरेको अपने धर्ममें लानेकी प्रेमपूर्वक इच्छा करने लंगे। उपर लिखा जा चुका है कि राजकुमारी चेलनाको बाल्यकालमें स्वधर्म जैनधर्मकी शिक्षा उत्तम रीतिसे दी गयी
SR No.032862
Book TitleAetihasik Striya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendraprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1997
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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