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________________ 50 क्षयोपशम भाव चर्चा अवस्था में जब यह जीव, सामायिकादि के काल में आत्मानुभूतिरूप निर्विकल्पदशा को प्राप्त करता है, उस समय वह 'शुद्धोपयोगी' कहलाता है। 'शुद्धोपयोग' में शुद्ध-बुद्ध-एक-स्वभाव का धारक जो निज शुद्धात्मा है, वह ध्येय होता है; इस कारण शुद्ध ध्येय (ध्यान करने योग्य पदार्थ) होने से, शुद्ध का आधार होने से तथा शुद्ध आत्मस्वरूप का साधक होने से 'शुद्धोपयोग' सिद्ध होता है। वृहद्र्व्यसंग्रह के टीकाकार श्रीमद् ब्रह्मदेव सूरि ने शुद्धोपयोग को अशुद्धनिश्चयनय के अन्तर्गत स्वीकार किया है - ___ इस शुद्धोपयोग को स्वयं शुद्ध होने से शुद्धोपयोग नहीं कहा जा रहा है, बल्कि शुद्धध्येयत्वात् अर्थात् इसका ध्येय शुद्ध होने से, शुद्धावलम्बनत्वात् अर्थात् इसका अवलम्बन शुद्ध होने से, तथा शुद्धात्मस्वरूपसाधकत्वात् अर्थात् शुद्धात्मस्वरूप प्राप्त करने में साधक होने से इसका सार्थक नाम 'शुद्धोपयोग' है। इसी प्रकार शुद्धोपयोग को एकदेश-शुद्ध-निश्चय-नय का विषय होने से एकदेश-शुद्ध अवश्य माना गया है। वे लिखते हैं - 'संवर' शब्द से वाच्य यह 'शुद्धोपयोग' संसार के कारणभूत मिथ्यात्व रागादि के समान अशुद्ध नहीं होता; उसी प्रकार शुद्धोपयोग के फल में प्राप्त होनेवाली केवलज्ञानरूप शुद्धपर्याय के समान शुद्ध भी नहीं होता; बल्कि इन दोनों अशुद्ध-शुद्ध दोनों पर्यायों से विलक्षण शुद्धात्मानुभूतिरूप निश्चय-रत्नत्रयात्मक मोक्ष के कारणभूत एकदेश-व्यक्तिरूप एकदेश निरावरणरूप तीसरी ही अवस्थारूप होता है। (देखें, वृहद्रव्यसंग्रह टीका, 34) इस उद्धरण से यह स्पष्ट है कि शुद्धोपयोग को पूर्ण शुद्ध मानना अनुचित हैं; बल्कि उसका ध्येय शुद्ध बुद्ध एक स्वभाव निजात्मा होता है, इसलिए उसे 'शुद्धोपयोग' कहा गया है। ___ साथ ही इससे यह भी सिद्ध होता है कि चतुर्थ गुणस्थान में मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी राग-द्वेषरूप अशुद्धता का अभाव होने से एकदेश-शुद्धता होती ही है; अत: यहाँ भी एकदेश-शुद्धरूप शुद्धोपयोग होने में कोई विरोध नहीं है। एकदेश -शुद्ध-निश्चयनय की स्वीकृति भी चतुर्थ गुणस्थान से स्वीकार की ही गई है।"
SR No.032859
Book TitleKshayopasham Bhav Charcha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandra Jain, Rakesh Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2017
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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