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________________ ( 34 ) अभ्यास-२७ (अस्, इस्, उस्-प्रत्ययान्त)। १-पौ फटते ही (उषस् नपु०) ब्रह्मचारी को ग्राम से बाहर निकल जाना चाहिये। ग्राम में ही इसे कभी सूर्य न निकल आये, नहीं तो इसे प्रायश्चित्त सगेगा। २-दुर्वासा ( दुर्वासस् ) एक ऐसे क्रोधशील मुनि हुए हैं कि जहाँ भी शाप आदि देने का प्रसंग हुआ, कवि लोगों ने उन्हें उपस्थित कर दिया। ३-चन्द्रमा (चन्द्रमस पु०) की शोभा भी एक अनोखी शोभा है, विशेष कर पूणिमा के चांद और उसकी भी समुद्र तट पर, जब कि समुद्र की तरंगे' मानो उसे छूना चाहती हुई उछलती है / ४-यह लड़का कुछ उदास (विमनस् ) प्रतीत होता है। यह घर जाने को उत्सुक ( उन्मनस ) हैं, क्योंकि इसे माता पिता से मिले हुए छः मास हो गये हैं। ५-जब उसने बड़े भाई के विवाह का शुभ समाचार सुना तो बहुत प्रसन्न (प्रमनस) हुआ और तत्काल घर को लौटा / ६-कहते हैं विश्वामित्र ने बहुत बरस तपस्या (तपस् नपु०) करके ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया। 7-* कमल की जल ( पयस नपु० ) से शोभा है, जल को कमल से, और तालाब (सरस् नपुं०) की जल और कमल दोनों से / 8-* उस पुरुष से-जो अपमान होने पर भी क्षोभ-रहित रहता है, घूल ( रजस् नपुं०) अच्छी है, जो पात्रों तले रोंदी जाने पर मस्तक (मूर्धन् पु० ) पर जा चढ़ती है / ६-भारत के किसानों के तन पर फटे पुराने कपड़े ( वासस् ) पुकार 2 कर कह रहे हैं कि वे लोग दारुण दरिद्रता के शिकार बने हुए हैं / १०-मन ( मनस् नपु०), वाणी (वचस् नपु०) और शरीर में पवित्र अमृत से भरे हए ये लोग संसार का भूषण (ललामन् नपु० ) हैं। 11-* यह सारी त्रिलोको अंधकारमय हो जाय यदि शब्द नाम की ज्योति (ज्योतिस् नपु०) संसार भर में न चमके / १२-किसी ने किसी से पूछा इस बच्चे की क्या आयु (आयुस नपु०) है। वह कहता है मैं उसकी आयु नहीं जानता, हाँ, इसकी अवस्था ( वयस् नपु) जानता हूँ। १३-इस लड़के ने कोई अपराव नहीं किया / इरो आपने क्यों दण्ड दिया ? अपराध (आगस् नपु०) १-अभिख्या / अनोखी शोभा = काप्यभिख्या / २-तरंग, भंग-पु / अमि-पु, स्त्री० / वीचि-स्त्री० / ३–अग्रज-पु / 4 विवाह, उद्वाह परिणय, उपयाम-पु.।
SR No.032858
Book TitleAnuvad Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharudev Shastri
PublisherMotilal Banarsidass Pvt Ltd
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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