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________________ ( 160 ) हजम न होता था। यही नहीं दस पन्द्रह रुपये मासिक लेस-फीतों में उड़ जाते थे। दोपहर के समय अडोस-पड़ोस की स्त्रियाँ उसके पास आ बैठती. तो उनके लिये मिठाई मंगवाई जाती। लाला चमनलाल यह देखते तो बहत कुढ़ते / प्रायः स्त्री को समझाया करते, "देखो यह चाल अच्छी नहीं है / रुपया पैसा लहू-पसीना एक करके मिलता है। सोच-समझ कर खर्च करो।" ____ कन्यायें हैं, वे नीम के पेड़ की भांति बढ़ रही हैं / उनके ब्याह के लिये अभी से बचाना प्रारम्भ करोगी तो समय पर पूरा पड़ेगा। नहीं तो भाई. चारे में नाक कट जायगी। इस तरह धन५ का उड़ान' धनाढ्य लोगों को शोभा देता है / इससे उनकी मान-प्रतिष्ठा को चार चाँद लग जाते हैं / परन्तु निर्धनों के लिये इस प्रकार व्यर्थ खर्च करना हलाहल विष के समान है। उनकी भलाई इसी में है कि फूंक-फूंक कर पांव धरें। सहेलियों से मिलो, उनसे बरतो, उजले वस्त्र पहनो, मनाही नहीं, परन्तु रुपये को रुपया समझ कर खर्च करो। दिखावे के लिये सारी प्रायु का सुख गिरवी न रख दो।। ___संकेत- रुपये का घी देती-रूप्यकक्रीतं घृतमन्येद्य रेव सर्वमुपायुक्त। दो तीन भाजियों....."उतरता था-द्वित्रा भाजीरन्तरेण न सा कवलमपि ग्रसितुमरोचयत् / रुपया-पैसा""प्रायश्च महता शरीरायासेन सम्पाद्यते / नहीं तो भाई चारे बन्धुतायां वक्तव्यतां (लाघव) यास्यसि / बन्धूनां समूहो बन्धुता / 'ग्रामजनबन्धभ्यस्तल' / इससे उनकी मान-एतेन बाढ़ तायते (तन्यते) तद्यशः (उपचीयतेतमां तन्मानः) / सहेलियों से मिलो'... 'मनाही नहीं-कामं यज्यस्व सखीभिः संव्यवहरस्व च, समुज्ज्वलं वा नेपथ्यं कुरु / नाहं वारयामि / दिखावे के लिये... विभवप्रदिदर्शयिषया त्वायु ग्येण सुखेन मा स्मात्मानं विना करोः / अभ्यास-३७ (क) मैंने जूता उतार दिया और शनैः-शनैः मागे बढ़ा। वर्कशाप की नौकरी ने मशीनों के खोलने-खालने का ढंग सिखा दिया. था। वह इस समय खूब काम पाया, अँधेरे में दिये से अधिक काम दिया। मैंने जेब से एक 1. नाजीर्यत / 2. अखिद्यत, खेदमभजत / 3. निम्ब, पिचुर्मद, पवनेष्ट-पुं० / 4. सम्यङ् निर्वक्ष्यसि / 5-5. अतिशयितो वित्तसमुत्सर्गः / 6. अव-मुच् / 7 कर्मान्तः, मावेशनम्, शिल्पिशाला / 'कर्मान्त' में 'अन्त' शब्द प्रदेशवाची है।
SR No.032858
Book TitleAnuvad Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharudev Shastri
PublisherMotilal Banarsidass Pvt Ltd
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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