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________________ अपने अनुचर के भाव को जानना चाहती हुई (वसिष्ठ) मुनि की गौ ने हिमालय की गुफा में प्रवेश किया / ७-*मन्द बुद्धिवालों पर अनुग्रह की इच्छा से मल्लिनाथ कवि ने कालिदास के तीनों काव्यों को विशद रूप से व्याख्या की है। ८–यदि तू राजाओं की कृपादृष्टि चाहता है तो तू उनकी इच्छा के अनुकूल आचरण कर / ६-अपनी प्यास को बुझाने की इच्छा से एक बार एक लोमड़ी किसी पुराने कुएँ पर गई, और पानी को सतह तक पहुंचने का यत्न करती हुई उस कुएं में गिर पड़ी। १०-मैं तुमसे मिलना' चाहता हूँ और तुम्हें अपनी यात्रा का सविस्तर वर्णन करना चाहता हूँ। ११-उन्होंने युद्ध को टालना चाहा, परन्तु फिर भी शान्ति प्राप्त न कर सके। 12-* मोक्ष चाहनेवालों के लिए यह ( व्याकरण शास्त्र ) सीधा राजमार्ग है / 13-* मनुष्य कर्म करता हुआ ही सौ बरस जीने की इच्छा करे। १४–इस लोक में सब कोई सुख को प्राप्त करना चाहता है / और दुःख को छोड़ना चाहता है। १५-जो समृद्ध होना चाहते हैं उन्हें नियमवान् और पवित्र होना चाहिये और बड़ों के साथ विनय से बर्तना चाहिये / १-राजन् ! क्षितिधेनुमेतां दुधुक्षसि चेद् वत्सवदिमाः प्रजाः पुषाण / ८राज्ञोऽनुग्रहं लिप्ससे चेत् तच्छन्दमनुवर्तस्व / ११–ते युद्धं पर्यजिहीर्षन् तथापि शमं स्थापयितु नाशक्नुवन् / १५-ये समीर्त्सन्ति ( समर्दिधिषन्ति ) तैनियतैः प्रयतैश्च भवितव्यम् / गुरुषु च विनयेन वर्तितव्यम् / अभ्यास-३६ ( सोपसर्गक धातुएँ ) (भू होना) १-तुम शीघ्र ही वियोग की पीड़ा का अनुभव करोगे, (अनु+भू)। 2-* पिता को अपनी पुत्रियों पर पूर्ण अधिकार है (प्र+भू)। ३–मैं 1-1 तृष्णां चिच्छित्सन्ती / २-दिदृक्षे त्वाम् / ३-अभीप्सति / ४--४--जिहासति / ५--समीर्त्तान्ति, समर्दिधिन्ति / ऋध दिवा०–सन् / ६---दुहितुः प्रभवति--यहाँ अधिकार अर्थ में दुहित शब्द से शैषिकी षष्ठी हुई है। इसी प्रकार-सजनभाषितं चेतसः प्रभवति-यहाँ 'चेतस्' से षष्ठी होती है। पर पर्याप्त वा अलमर्थ मे प्रभवति का प्रयोग होने पर चतुर्थी
SR No.032858
Book TitleAnuvad Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharudev Shastri
PublisherMotilal Banarsidass Pvt Ltd
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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