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________________ मलकात् / ( सर्वमम्लं पित्तं प्रकोपयति ) / ८-ये राजन्या राष्ट्रहितप्रयुक्ताः स्वार्थमननुसन्धाय (प्रयोजनमनुद्दिश्य, प्रगृह्यमाणकारणा: ) संग्रामयन्ते द्विषतश्च पराणुदन्ते ते नाकं सचन्ते / संग्राम युद्धे चुरा० आ० / ६-अद्यापि कुमारयन्तोमे कुमारा प्राक्रोडिनः पाठेष्वनवहिताः / कुमार क्रीडायां चुरादिः / 'माक्रीडिनः' में ताच्छील्य में णिनि हुआ है। १०-यज्ञ पश्वालम्भः श्रयसामर्थ पापीयानारम्भ इति पश्यामः, अपरेऽत्र विप्रतिपद्यन्ते / ११-यदा नृपतिः प्रजाः करादानादिनाऽत्यन्तं कदर्थयति ( बाधते, उपपीडयति), तदा तास्तस्मिनपरज्यन्ते व्यत्तिष्ठन्ते ( प्रकुप्यन्ति ) च / उद् स्था का अर्थ चेष्टा है प्रतः मात्मनेपद हुआ | 'वि' का अर्थ 'विरोध' है। १२-ये परस्वेषु गृध्यन्ति ते पतन्ति ( पतनमृच्छन्ति ) / गृध और लुभ दोनों अकर्मक हैं। १३-एष वर्धाकर्वर्धयति काष्ठम्, असावारया (= असौ पारया) चुतति, अयमपरस्तृतीयस्तक्ष्णोति चतुरस्र च करोति / १४–नहि सातुरः,आतुरलिङ्गी स भवति / (आतुरतां व्यपदिशति / ) १५-कृतं निर्मक्षिकम् ( कृतं निःशलाकम्, कृतो वीकाशः ) / सम्प्रति स्वं वृत्तमाचक्षे। अभ्यास-७ (लट् ) १--दक्षिण की नदियां गरमी में सूख जाती हैं, परन्तु पंजाब की नदियाँ बरस भर चलती हैं। २-उसे न तो विवेक ही है और न ही अपने मन की बात कहने का साहस / वह तो केवल हाँ में हाँ मिलाना जानता है। ३--वह बेचारी भिखारिन शीत के कारण सिर से पांव तक ठिठुर रही है। इसे ज्वर भी हो रहा है। 4- शेर दहाड़ता है, हाथी चिघाड़ता है, कुत्ता भौंकता हैं, गधा हींगता है, घोड़ा हिनहिनाता है, बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ करती है, मेंढक टर्राते हैं, साँप फुकारते हैं, चिड़ियां चूँ चूँ१२ करती हैं, गीदड़ चीखते हैं, गौएँ और भैसें रंभाती" हैं, कव्वे कांव कांव'५ . 1 वह भ्वा० उ०, स्र भ्वा०, स्यन्द भ्वा० प्रा० / 2-2 न च क्रमते मनोगतं निर्वक्तुम् / 3-3 तथास्त्विति (साधु साध्विति ) उक्तमनुवदति / ४गर्छ / ५–बृंह भ्वा० प० / ६-बुक, भष-म्वा० 50 / ७-गद् भ्वा०, रास भ्वा० प्रा० / ८-हेष, ह्रष भ्वा० मा० / ६-पीव भ्वा० प० / १०-छ प्रदा०, प्रवद् भ्वा० / ११-फूत्कुर्वन्ति / १२-चीम् भ्वा० प्रा० / १३-क्रुश् भ्वा०प० / (क्रोशन्ति क्रोष्टारः)। 14 रम्भ भ्वा० प्रा० (गौ का) रभाना / रेम म्वा० प्रा० (भैस का) रँभाना / 15 के भ्वा०, 50, वाश दिवा० मा० /
SR No.032858
Book TitleAnuvad Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharudev Shastri
PublisherMotilal Banarsidass Pvt Ltd
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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