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________________ नित्य नियम पूजा एक समय श्री पारस स्वामी, राज छोड़कर वनकी ठानी / तप करते थे ध्यान लगाये, इकदिन कमठ वहां पर आये। फौरन ही प्रभुको पहिचाना, बदला लेना दिलमें ठाना / बहुत अधिक बारिश बरसाई, बादल गरजे वो नली गिराई / बहुत अधिक पत्थर बरसाये, स्वामी तनको नहीं हीलाये / पद्मावती धरणेन्द्र भी आये, प्रभुकी सेवामें चित लाये / पद्मावतीने फन फैलाया, उस पर स्वामोको बैठाया / धरणेन्द्रने फन फलाया, प्रभु के सर पर छत्र बनाया / कर्मनाश प्रभु ज्ञान उपाया, समोशरण देवेन्द्र रचाया / यही जगह अहिच्छत्र कहाये, पात्र केशरी जहां पर आये / शिष्य पांच सौ संग विद्वाना, जिनको जाने सकल जहाना / पार्श्वनाथका दर्शन पाया, सबने जैन धरम आनाया / अहिच्छत्र श्री सुन्दर नगरी, जहां सुखी थी पर जा सगरी / राजा श्री वसुपाल कहाये, वो इक जिन मन्दिर बनवाया। प्रतिमा पर पालीश करवाया, फौरन इक मिस्त्री बुलवाया। वह मिस्त्री मांस खाता था, इससे पालिश गिर जाता था। मुनिने उसे उपाय बताया, पारस दर्शन व्रत दिलवाया। मिस्त्रीने व्रत पालन कीना, फौरन ही रंग चढ़ा नवीना / गदर सतावनका किस्सा है, इक मालीको यो लिक्खा है। माली एक प्रतिमाको लेकर, झट छुप गया कुए के अन्दर / उस पानीका अतिशय भारी, दूर होय सारी बीमारी /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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