________________ नित्य नियम पूजा [ 207. दोहा। ज्ञान-दीप तप-तेल भर, घर शोध भ्रम छोर / या विध बिन निकसे, नहि पेठे पूरव चोर // 9 // पंच महाव्रत संचरण, समिति पंच परकार / प्रबल पंच इन्द्रीय-विजय, धार निर्जरा सार // 10 // चौदह राजु उतंग नभ, लोक पुरुष संठान / तामें जीव अनादित, भरमत हैं बिन ज्ञान // 11 // धन-कन-कंचन राज-सुख, सबहि सुलभकर जान / दुरलभ है संसारमें, एक जथारथ ज्ञान / 12 // जांचे सुर-तरु देय सुख, चिन्तन चिन्ता रैन / बिन जांचे विन चिन्तये, धर्म सकल सुख दैन // 13 // निर्वाण कांड भाषा दोहा-वीतराग वन्दौं सा, भाव-सहित सिरनाय / कहूँ कांड निर्वाणकी, भाषा सुगम बनाय // 1 // . चौपाई अष्टापद आदीश्वर स्वामी, वासुपूज्य चम्पापुरि नामी / नेमिनाथ स्वामी गिरनार, बंदौं भावभगति उर धार // 2 // चरम तीर्थकर चरम शरीर, पावापुरि स्वामी महावीर / शिखर समेद जिनेसुर बीस, भाव-सहित वंदौं निशदीस / 31 वरदतराय रु इन्द्र मुनिन्द, सायरदत्त आदिगुणवृन्द / नगर तारवर मुनि ऊठकोडि,वन्दौं भाव सहित कर जोडि