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________________ 178] नित्य नियम पूजा उद्धर मां पतितमतो विषमाद्-भवकूपतः कृपां कृत्वा / अर्हबलमुद्धरणे त्वमसीति पुनः पुनर्वच्मि / 15 // त्वं कारुणिक: स्वामी त्वमेव शरणं जिनेश ! तेनाहं / मोह-रिपु-दलित मानं फुत्करणं तव पुरः कुर्वे / 16 // ग्रामपतेरपि करूणा, परेण केनाप्युपद् ते पुसि / जगतां प्रभो ! न किं तव, जिन ! मयि खलु कर्मभिःप्रहते अपहर मम जन्म दयां कृत्वै चेत्येक वचसि वक्तव्यं / तेनातिदग्ध इति मेव देव ! मभूव प्रलापित्वं / / 18 / / तब जिनवर ! चरणाब्ज-युगं करूणामृत शोतलं यावत् / संसार-ताप-तप्तः करोमि हृदि तावदेव सुखी // 19 // जगदेक शरण भगवान् ! नौमि श्रीपद्मनन्दित गुणौष / किं बहुना कुरु करुणामंत्र जने शरणमापन्न // 20 // अथ विसर्जन ज्ञानतोऽज्ञानतो घापि शास्त्रोक्तं न कृतं मया / तत्सर्व पूर्णमेवास्तु त्वत्प्रसादाग्जिनेश्वर ! / 1 // आह्वानं नैव जानामि नैव जानामि पूजनं / विसर्जनं न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ! / / 2 / / मन्त्रहीनं क्रियाहीनं द्रव्यहीनं तथैव च / तत्सर्व क्षम्यतां देव रक्ष रक्ष जिनेश्वर // 3 // १-विसर्जन पाठ यही तक है कई लोग निम्न पद्य और बोलते हैं। आहुता ये पुरा देवा लब्धभागा यथाक्रमं / ते मायाभ्यचिता भक्त्या सर्ने यान्तु यथास्थितिम् / / thi
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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