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________________ नित्य नियम पूजा विसर्जन विन जाने वा जानके, रही टूट जो कोई / तुम प्रसाद ते परमगुरु, सो सब पूरण होय // 1 / / पूजन विधि जानों नहीं, नहीं जानौं आह्वान / और विसर्जन हूँ नहीं क्षमा करहु भगवान 2 / मन्त्रहीन धनहीन हूँ क्रियाहीन जिन देव / क्षमा कर हु राखहु मुझे, देहूँ चरणकी सेव / 3 / आये जो-जो देवगण, पूजे भक्ति प्रमाण / ते सब मेरे मन बसी, चौबीसों भगवान' / 4 / इत्याशीर्वादः / आशिका लेना-श्री जिनवरकी आशिका, लिजै शीश चढाय __ भव-भवके पाकत कटे दुख दूर हो जाय / / १-विसर्जनमें कई लोग दोहा निम्न प्रकार और बोलते हैं। आये जो जो देवगण, पूजे भक्ति प्रमान / ते सब जावह कृपाकर, अपने२ स्थान // 4 // इति // पद्मावती पूजा। (छप्पय ) जग जीवनको शरण, हरण भ्रम तिमिर दिवाकर / गुण अनन्त भगवन्त कन्थ, शिवरमणि सुखाकर / किशनवदन लजिमदन, कोटिशशिसदन विराजै / उरगलछन पगधरण, कमठ मदखण्डन साजै / /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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