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________________ [ 4 ] लघुरत्नावलि बृहमुक्तावलि मध्यमुक्तावलि बृहद्कनकावलिव्रत लघुकनकावलिव्रत मेघमालाव्रत सुखकरणव्रत समवशरणव्रत अनन्तचतुर्दशीव्रत श्रवणद्वादशीव्रत श्वेतपंचमीव्रत नवनिधिव्रत अशोकरोहिणीव्रत कोकिलापंचमीव्रत निर्जरापंचमीव्रत कवलचांद्रायणव्रत जिनरात्रि कृष्णपंचमीव्रत शल्यअष्टमी लक्षणपंक्ति परमेष्ठिगुणव्रत शिवकुमारबेला तीर्थंकर बेला कालीचतुर्दशी मोक्षसप्तमी रोटतीजव्रत लघुचौवीसी पंचपोरियाव्रत चमकदशमी अहारदशमीव्रत तन्दोलदशमीव्रत झावदशमीव्रत 'न्योनदशमी दण्डदशमी संकट-हरण नित्यरस त्रेपनक्रियाव्रत कर्मचुरव्रत मध्यसिंहनि:क्रीडित बृहत्सिंहनि:क्रीडित दुःखहरणव्रत रूद्रबसन्त शीलकल्याणक श्रुतिज्ञानतप पंचश्रुतज्ञान लघुमुक्तावलि एकावलि लघुमृदंडव्रत मुरजमध्यव्रत आकाशपंचमीव्रत अखेदर्सव्रत शीलव्रत सर्वार्थसिद्धिव्रत रूकमणिव्रत कर्मनिर्जराव्रत बारहविजोराव्रत एसोनवव्रत इधरसीव्रत बारईव्रत मौनव्रत लघुपंचकल्याणक शीलसप्तमी वीरशासन जयंती चन्दनषष्ठी कोमारसप्तमी पानदशमी फूलदशमी बारसुदशमीव्रत भण्डारदशमी इनमेंसे 40 व्रतोंकी कथाएं तो प्रगट की गई हैं और अन्य कथाएं मिलेगी तो वे भी प्रकट करनेका प्रयास किया जायेगा। __ - प्रकाशक।
SR No.032856
Book TitleJain 40 Vratha katha Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year2002
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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