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________________ अध्याय -7 अभिलेख साहित्यिक साक्ष्यों की भांति ही अभिलेखीय साक्ष्य भी जैन इतिहास निर्माण में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है। ये अभिलेख पाषाण एंव धातु निर्मित विभिन्न उपादानों - गुफाओं, चट्टानों, दीवारों, स्तम्भों, स्तूपों, शिलापट्टों आयाग-पट्टों एंव मूर्तियों, ताम्रपत्रों पर उत्कीर्ण किये गये हैं। इसके साथ ही कतिपय जैन अभिलेख काष्ठपट्टिकाओं पर काली स्याही से लिखे मिले हैं जिनकी प्राचीनता लगभग 550 वर्ष ई०पू० मानी गयी है। ये लेख पत्थर पर ज्यों के त्यों है जिससे प्राचीन स्याही के स्थायित्व की जानकारी होती है। इसी तरह पुस्तक के परिवेष्टन पर सुई से कढ़ा हुआ जैन लेख भी (बीकानेर से ) प्राप्त है। व्यूलर को सिल्क पर स्याही से छपा ग्रन्थ एंव पिटर्सन को कपड़े पर स्याही से छपा ग्रन्थ मिला है। सुई से अंकित लेख जैन कलाकारों की अपनी देन है। साहित्यिक साक्ष्यों की अपेक्षाकृत पुरातात्विक (अभिलेखीय) साक्ष्य वास्तविकता के अधिक निकट हैं क्योंकि ये अभिलेख घटना के समय पर (लेख में वर्णित घटनाओं के घटित) महत्वपूर्ण घटनाओं एंव क्रियाकलापों को स्थायी रुप देने के लिए ही उत्कीर्ण कराये गये थे। __मुख्यतः जैन अभिलेख दो रुपों - राजाओं द्वारा शासनपत्रों के रुप में एवं जनवर्ग से सम्बन्धित सांस्कृतिक, सामाजिक आदि विशेषताओं से युक्त व्यक्तिगत रुप में। राजवर्ग एंव अधिकारी वर्ग से सम्बन्धित लेख प्रायः प्रशस्तियों के रुप में लिखे जाते थे। इनमें राजाओं द्वारा उपलब्ध की गयी उपाधियों, विजयों, साम्राज्य विस्तार, एंव वंशावली, के साथ ही राजा एंव राजनैतिक संस्थाओं द्वारा किये गये धार्मिक कार्यो, का वर्णन प्राप्त होता है। जिससे तत्कालीन राजनैतिक परिस्थिति की जानकारी होती है। जनवर्ग से सम्बन्धित लेखों का मूल प्रयोजन धार्मिक है। ये लेख जैन धर्मानुयायी पुरुषों, एंव स्त्रियों द्वारा लिखाये जाते थे। इनसे सामाजिक, सांस्कृतिक एंव जैनाचार्यों के संध, गण, गच्छ, आदि के उल्लेख प्राप्त होते हैं। जैन अभिलेखों में प्राय: एक निश्चित शैली का अनुसरण किया गया है प्रारम्भ में मंगलाचरण होता है जिसमें कि “सर्वज्ञायः नमः" "ऊँनमः सिद्धेभ्यः" आदि के बाद प्रशस्ति प्रारम्भ होती है। जिसमें कि राजा का नाम, युद्ध में विजय, साम्राज्य, सीमा, दान, मन्दिर निर्माण आदि धार्मिक कार्यो एंव वंश परम्परा का वर्णन प्राप्त होता है। लेख में राजा अथवा
SR No.032855
Book TitleJain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Agarwal
PublisherClassical Publishing Company
Publication Year2002
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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